# दीवाना हूँ
मैं दीवाना हूँ, तुझे दीवानी बनाने आया हूँ।
मन्नते सारी तेरी, जहाँ से
चुरा कर लाया हूँ।।
मैं तो सपना हूँ तुम्हारा,
चाहे मुझको तोड़ दो।
मैं तो अपना हूँ तुम्हारा,
चाहे मुझको छोड़ दो।।
मैं तेरे दिल में, अपना घर
बसाने आया हूँ।
मैं दीवाना हूँ, तुझे दीवानी बनाने आया हूँ।।
मैं तो झोंका हूँ हवा का,
जाने कब उड़ जाऊँगा।
उड़ गया तो तेरे दिल को,
मैं बहुत तड़पाऊंगा।।
मैं तो हूँ दरिया का पानी,
जाने कब बह जाऊँगा।
बह गया तो आँखों को तेरी ,
मैं बहुत तरसाऊंगा।।
मेरे मन मंदिर में तेरी, मूरत बसाने
आया हूँ।
मैं दीवाना हूँ, तुझे दीवानी बनाने आया हूँ।।
तुझसे मिलके लगा यूँ
सारी खुदाई मिल गई।
रब भी याद आता नहीं,
रब से रुसवाई मिल गई।।
खुद को भी मैं भूल बैठा,
जब से तेरा दीदार है।
तुझको फिर से देखने की,
दिलकशी दरकार है।।
तेरा नाम आते ही,
मेरे मन में आती बहार है।
अपने रब को भूल बैठा,
क्या इसी का नाम प्यार है।।
आगाज़ भी तू ही है मेरा
तू ही मेरा अंजाम है।
आस भी तू ही मेरी
तू ही मेरा विश्वास है।।
मेरी खुदाई का तुझे, खुदा बनाने
आया हूँ।
मैं दीवाना हूँ, तुझे दीवानी बनाने आया हूँ।।
- ज्योतिपुरुष
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